महाराणा प्रताप Ke Bareme Pure Jankary In Hindi.
महाराणा प्रताप Ke Bareme Pure Jankary In Hindi.
महाराणा प्रताप, मेवाड़ के राजवंशी शिसोदिया राजपूतों के एक महान योद्धा और वीर थे। वह मेवाड़ के मेवाड़ के राज्य का संरक्षक और मुख्य नेता थे जो मुग़ल साम्राज्य के खिलाफ संघर्ष करते थे। उन्होंने 16वीं शताब्दी में अपनी शौर्यगाथा के लिए प्रसिद्धता प्राप्त की है।
महाराणा प्रताप 9 मई 1540 को कुम्भलगढ़ में जन्मे। उनके पिता का नाम महाराणा उदय सिंह था और माता का नाम जगमती था। प्रताप को अपने पिता से युद्ध कला की शिक्षा मिली और उन्होंने मेवाड़ के राजवंशी परंपरा को आगे बढ़ाने के लिए तैयारी की।
1572 में, जब महाराणा प्रताप का पिता महाराणा उदय सिंह मृत्युदंड के कारण मुग़ल सम्राट अकबर को मान्यता देने पर मजबूर हुआ, तब प्रताप को राजसिंह नहीं उदय सिंह के उत्तराधिकारी के रूप में मान्यता दी गई। लेकिन प्रताप ने मुग़ल सम्राट की समर्थन प्राप्ति के लिए सम्मान करने से इंकार कर दिया।
महाराणा प्रताप ने यह निर्णय लिया कि वह स्वतंत्रता के लिए लड़ेगा और मुग़ल साम्राज्य के खिलाफ संघर्ष करेगा। 1576 में, हालाँकि, हल्दी घाटी के युद्ध में उन्हें मुग़लों के सामरिक बल के सामने हार का सामना करना पड़ा। इसके बावजूद, प्रताप ने अपने योद्धा और सामरिक योग्यताओं के लिए मशहूरत प्राप्त की।
महाराणा प्रताप के द्वारा किए गए योगदान की सबसे महत्वपूर्ण घटना हालाँकि, उनके अवाधि में मेवाड़ की राजधानी चित्तौड़गढ़ को खो देना था। 1568 में, जब चित्तौड़गढ़ को सम्राट अकबर के सेनानायक अंग्रेज़ी शेर के द्वारा घेर लिया गया, तब प्रताप और उनके साथियों ने उनकी बलिदानी संघर्ष करते हुए बहादुरी का परिचय दिया।
महाराणा प्रताप की मृत्यु 29 जनवरी 1597 में हुई। उनकी मृत्यु के बाद उनके पुत्र अमर सिंह ने मेवाड़ की संरचना जारी रखी, लेकिन मेवाड़ का पूर्ण रूप से राजनीतिक अधिकार मुग़ल सम्राट शाहजहाँ ने 1616 में प्राप्त किया।
महाराणा प्रताप को उनकी शौर्यगाथा,
स्वतंत्रता प्रेम, और वीरता के लिए सराहा जाता है। उनका नाम भारतीय इतिहास में एक महान योद्धा के रूप में याद किया जाता है, जिन्होंने अपने राज्य की स्वतंत्रता के लिए संघर्ष किया और अपने लोगों के लिए लड़ते रहे।
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